Russia-Ukraine War: क्या पुतिन अब यूक्रेन जीतने के लिए सीरियाई लड़ाकों की ले रहे हैं मदद?
रूस 12 दिन में भी यूक्रेन को फतह नहीं कर पाया है, जबकि उसकी शुरुआती योजना अधिकतम एकाध हफ्ते की थी.
Syrian Fighter entry in Russia-Ukraine War : रूस 2015 से लगातार सीरिया की असद सरकार को सैन्य मदद दे रहा है. यहां तक उसके सैनिक सीधे तौर पर अनधिकृत रूप से वहां के गृह युद्ध में उतरे हैं, ऐसा बताया जाता है. उसी मदद के बदले अब सीरियाई लड़ाके (Suria Fighter) यूक्रेन के साथ हो रहे युद्ध में रूस की सहायता के लिए पहुंच रहे हैं.
मॉस्को. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को 12 दिन हो चुके हैं. लेकिन अब तक रूस को यूक्रेन पर फतह हासिल नहीं हुई है. यूक्रेन की राजधानी कीव (Ukraine Capital Kyiv) तो क्या खारकीव (Kharkiv) जैसे वहां के प्रमुख शहर पर भी पूरा जोर लगाने के बावजूद रूसी सेना (Russian Army) कब्जा नहीं कर पाई है. ऐसे में कहा जा रहा है कि मजबूरन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) अब सीरियाई लड़ाकों (Syrian Fighter) की ओर देख रहे हैं. उनसे मदद हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं. खबरों की मानें तो कुछ सीरियाई लड़ाके तो रूस पहुंच भी चुके हैं और कुछ अन्य पहुंचने वाले हैं. इसीलिए सवाल जेहन में आता है कि आखिर सीरियाई लड़ाकों में ऐसी कौन सी विशेषज्ञता है कि जो काम दुनिया की शक्तिशाली सेनाओं में शुमार रूसी फौज नहीं कर पाई, उसे वे कर लेंगे. इसका जवाब और उससे जुड़े पहलू जानना दिलचस्प हो सकता है.
रूस को जरूरत क्यों पड़ी सीरियाई लड़ाकों की
विशेषज्ञों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों की मानें तो यूक्रेन पर हमले से जुड़े रूस (Russia Atack on Ukraine) के समीकरण फिलहाल गड़बड़ाते दिख रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति पुतिन और उनके रणनीतिकारों की योजना कीव (Kyiv) पर कब्जा कर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की (Ukraine President Volodymyr Zelensky) और उनके समर्थकों को गिरफ्तार करने की थी. फिर वहां रूस समर्थित सरकार काबिज करनी थी. इसके लिए अधिकतम एकाध सप्ताह का समय तय किया गया था. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यूक्रेन की सेना और वहां के आम नागरिकों तक ने रूसी सेना के रास्ते 12 दिन से लगातार रोक रखे हैं. यहां तक कि कई जगहों पर रूसी फौजों के लिए रसद आपूर्ति का संकट भी आ खड़ा हुआ है. इससे मजबूरन रूस को सीरियाई लड़ाकों की मदद लेनी पड़ रही है क्योंकि उन्हें शहरी युद्धों (Urban Combat) का विशेषज्ञ माना जाता है.
मदद के बदले सहायता का है ये मामला
सीरिया में 15 मार्च 2011 से गृहयुद्ध (Civil War in Syria) चल रहा है. वहां राष्ट्रपति बशर-अल-असद (Syria President Basha-al-Asad), उनकी सरकार और सेना के खिलाफ तमाम विद्रोही गुटों ने हथियार उठाए हुए हैं. यह गृह युद्ध मूल रूप से वैसे तो मुस्लिमों दो विरोध गुट शिया और सुन्नियों की लड़ाई है. इनमें बशर-अल-असद शिया समुदाय से आते हैं, जबकि उनके विरोध करने वाले सुन्नी हैं. लेकिन मामला यहां तब गंभीर हो गया, जब अमेरिका और रूस जैसी अन्य ताकतों ने भी सीरिया के गृह युद्ध में दखल दिया. बताते हैं कि इस गृह युद्ध में अमेरिका बशर-अल-असद की सरकार के खिलाफ है, जबकि रूस उनके समर्थन में. रूस 2015 से लगातार सीरिया की असद सरकार को सैन्य मदद दे रहा है. यहां तक उसके सैनिक सीधे तौर पर अनधिकृत रूप से वहां के गृह युद्ध में उतरे हैं, ऐसा बताया जाता है. उसी मदद के बदले अब सीरियाई लड़ाके (Suria Fighter) यूक्रेन के साथ हो रहे युद्ध में रूस की सहायता के लिए पहुंच रहे हैं.
लेकिन सीरियाई लड़ाकों की मदद मुफ्त नहीं
हालांकि सीरियाई मीडिया की मानें तो वहां के लड़ाकों की रूस को मिलने वाली मदद मुफ्त नहीं है. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने सीरिया के अखबार ‘दैर एजोर’ (Deir Ezzor) के हवाले से बताया है कि सीरियाई लडा़कों को रूस 200 से 300 डॉलर प्रति माह के मेहनताने पर भर्ती कर रहा है. यह रकम रूसी मुद्रा ‘रूबल’ के अनुसार 21,300 से 31,950 के बीच होती है. जबकि सीरियाई मुद्रा ‘इरा’ या ‘पाउंड’ के मुताबिक 5,02,400 से 7,53,600 के आसपास बैठती है. सीरियाई मीडिया की मानें तो उनके देश के लड़ाकों को रूस 6 महीने के लिए भर्ती कर रहा है. इस अवधि में उन्हें यूक्रेन के प्रमुख शहरों को जीतने की ही नहीं, आगे उनकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी दी जाएगी.
News Sources: News18