दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, अब अभिभावक कहीं से भी खरीद सकेंगे किताबें और यूनिफॉर्म
मनीष सिसोदिया ने कहा कि किसी भी स्कूल को यह अधिकार नहीं है कि वह अभिभावकों को किसी विशिष्ट विक्रेता से किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करे। शिक्षा का मुख्य कारण राष्ट्र के भविष्य को शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना।
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने गुरुवार को प्राइवेट स्कूलों को आदेश देते हुए कहा कि वे छात्रों के माता-पिता को किसी विशिष्ट विक्रेताओं से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए “मजबूर करना” बंद करें। सरकार ने कहा कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो स्कूल प्रशासन के साथ-साथ विक्रेताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा निदेशालय (DoE) की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी कर यह कहा गया कि प्राइवेट स्कूल “ट्रस्ट और सोसाइटियों” की मदद से चलाए जाते हैं, जिस वजह से इसमें “लाभ या व्यावसायीकरण” की कोई गुंजाइश नहीं बचती है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि “यह आदेश उन अभिभावकों के लिए राहत की सांस है, जो इन प्राइवेट स्कूलों में किताबें और यूनिफॉर्म के लिए भारी राशि का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दो साल पहले कोविड-19 महामारी की चपेट में आने के बाद से कई परिवारों ने अपनी आय का स्रोत खो दिया है, जिससे उनके लिए विशिष्ट दुकानों से महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदना मुश्किल हो गया है। यह आदेश शहर भर के अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए उनकी सुविधा के अनुसार किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने की आजादी देगा।”
उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “किसी भी स्कूल को यह अधिकार नहीं है कि वह अभिभावकों को किसी विशिष्ट विक्रेता से किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करे। शिक्षा का मुख्य कारण राष्ट्र के भविष्य को शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना। प्राइवेट स्कूलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे सरकार की सख्त निगरानी में हैं। इसी के साथ प्राइवेट स्कूलों को मनमाने ढंग से माता-पिता से किताबों और यूनिफॉर्म के लिए शुल्क लेने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।
डीओई ने आदेश देते हुए कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अगले तीन सालों तक यूनिफॉर्म के रंग, डिजाइन या अन्य किसी चीज को नहीं बदल सकते। उन्होंने आगे कहा कि स्कूलों को नजदीक के कम से कम पांच दुकानों के पते और संपर्क विवरण को प्रदर्शित करना होगा, जहां उस स्कूल की किताबें और यूनिफॉर्म उपलब्ध हों। आदेश में यह भी कहा गया है कि “माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं।”
News Credit: Zee News