अफगानिस्तान: तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का क्या अमेरिका से कोई कनेक्शन है?
कूटनीति और विदेश नीति के जानकारों के बीच में चर्चा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की पहल और आईएसआई के प्रयास से छोड़ा गया था। बताते हैं इस समय बरादर को पाकिस्तान आगे बढ़ा रहा है। जबकि तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबैतुल्ला अखुंदजादा आईएसआई की निगहबानी में है…
सीआईए प्रमुख ने तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर से भेंट की है। इस भेंट ने खुफिया, सुरक्षा और कूटनीति से जुड़ी एजेंसियों में नई हलचल पैदा कर दी है। इस भेंट से जुड़ी खबर को वाशिंगटन पोस्ट ने जारी किया है। इस भेंट-मुलाकात ने बरादर और तालिबान को लेकर एक नए भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है। कई लोग अब मुल्ला बरादर को अमेरिका की सीआईए का मोहरा भी कहने लगे हैं। विदेश मामलों के जानकार रंजीत कुमार का भी कहना है कि इस तरह की कोई खिचड़ी पक रही हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर गंभीरता से नजर बनाए रखने वाले सुरक्षा एजेंसी से जुड़े पूर्व अधिकारी ने कहा कि करीब-करीब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा है। तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबैतुल्लाह अखुंदजादा है, लेकिन लंबे समय से वह कहीं सार्वजनिक मंच पर नजर नहीं आया? वह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि क्या किसी ने अखुंदजादा को कहीं देखा है? सूत्र का का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अखुंदजादा पाकिस्तान में किसी गोपनीय स्थान पर बैठा है। एक खबर यह भी है कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की निगहबानी में है।
खुफिया और सुरक्षा ब्यूरो से दो साल पहले अवकाश प्राप्त एक अन्य अधिकारी का कहना है कि अखुंदजादा जैसे लोग कहां हैं और मुल्ला गनी बरादर के ऊपर किसका हाथ है? इस तरह के सवाल इतनी आसानी से नहीं दिए जा सकते। हमारे सामने तो केवल दो स्थितियां हैं। पहली तो यह कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान से जुड़ा है। वह पाकिस्तान में गिरफ्तार हुआ था और उसे अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान से शांति वार्ता प्रक्रिया के लिए जेल से रिहा कराने में मदद की थी। शांति वार्ता प्रक्रिया दोहा में चल रही थी और बरादर अमेरिकी फौज के करीब-करीब अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ही अपने देश लौटा है। वह कहते हैं कि सोमवार को सीआईए प्रमुख उससे मिले हैं। जाहिर सी बात है कि मुलाकात के दौरान तालिबान नेता से अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व की स्थापना लेकर चर्चा रही होगी।
क्या है चर्चा?
कूटनीति और विदेश नीति के जानकारों के बीच में चर्चा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की पहल और आईएसआई के प्रयास से छोड़ा गया था। बताते हैं इस समय बरादर को पाकिस्तान आगे बढ़ा रहा है। जबकि तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबैतुल्ला अखुंदजादा आईएसआई की निगहबानी में है। ताकि पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर प्रभाव बना रहे। इस अभियान में पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क की मदद ली है और तालिबान के अधिकांश गुट मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के साथ हैं। इस तरह से यह हिबैतुल्ला अखुदजादा को कमजोर करने की कोशिश है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि आखिर जब अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो चुका है तो हिबैतुल्लाह अखुंदजादा क्यों सामने नहीं आ रहा है? अफगानिस्तान के मामले मे नजर बनाए रखने वाले एके शर्मा का कहना है कि अखुंदजादा मुल्ला गनी बरादर से भी ज्यादा कट्टर है। वह धार्मिक मामलों का प्रमुख भी है।
अफगानिस्तान शांति और स्थात्वि के लिए कई देश कर रहे हैं प्रयास
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार अफगानिस्तान में शांति वार्ता की स्थापना के लिए सक्रिय हैं। इसी स्तर की सक्रियता एनएसए अजीत डोभाल भी बनाए हुए हैं। भारत अफगानिस्तान में अपने हितों को देखते हुए कतर समेत दुनिया के तमाम देशों के संपर्क है। फिलहाल भारत का फोकस अभी अपने नागरिकों की सुरक्षित निकासी पर है। इसी तरह से अमेरिका के टारगेट में 31 अगस्त तक अपने सैनिकों की वापसी है। रूस, चीन, ईरान समेत अफगानिस्तान के तमाम पड़ोदी देश भी इसी दिशा में सक्रिय हैं। ऐसे में विश्व के नेताओं के बरादर से भेंट मुलाकात के प्रयास को अफगानिस्तान के हित में ही माना जा रहा है। अरब देशों ने भी अफगानिस्तान को लेकर अपना उद्देश्य साफ कर दिया है।