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सुप्रीम हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने केक काटकर भारतीय चिकित्सक दिवस मनाया।

फरीदाबाद, 1 जुलाई। चार्मवुड विलेज सूरजकुंड रोड स्थित सुप्रीम हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने केक काटकर भारतीय चिकित्सक दिवस मनाया। इस दौरान उपस्थित चिकित्सकों ने अपने चिकित्सीय जीवन के दौरान प्राप्त किए गए अनुभव एक-दूसरे से बांटे। इस अवसर पर सभी डॉक्टरों को उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया गया। इस बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस-2022 की थीम ‘फ्रंट लाइन पर पारिवारिक डॉक्टर’ है, जिसके अनुरूप ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में चिकित्सकों व नर्स स्टाफ के परिजन भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सुप्रीम हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रेम सिंह राणा, डायरेक्टर डॉ. पूनम राणा, वाइस चेयरमैन युवराज दिग्विजय सिंह राणा, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. दीपक नटराजन तथा डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. विवेक रिछारिया विशेष रूप से उपस्थित रहे।

सुप्रीम हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रेम सिंह राणा ने कहा कि ने कहा कि कई बार हमारे सामने ऐसी चुनौतियां आती हैं कि हमें भी एक बार सोचना पड़ता है लेकिन चिकित्सक भगवान के दूसरे रूप कहे जाते हैं। उन्होंने कहा कि ने कहा कि हमें अपना व्यवहार को नम्र रखना चाहिए ताकि मरीज और तीमारदार को कोई परेशानी न हो।

डायरेक्टर डॉ. पूनम राणा ने कहा कि नर सेवा को नारायण सेवा मानकर जो कार्य करे वही सच्चा डॉक्टर है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जो सेवाएं दी है उसकी जितनी सराहना की जाए कम है।

वहीं अस्पताल के वाइस चेयरमैन युवराज दिग्विजय सिंह राणा ने कहा कि आज का दिन जितना डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण है उससे ज्यादा इसका महत्व एवं श्रेय नर्सिंग स्टाफ को जाता है। जिनके अथक प्रयासों से ही कोई भी चिकित्सक किसी भी मरीज स्वास्थ्य कर पाता है। उन्होंने इस दिवस के बारे में विशेष जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय चिकित्सक डा. बिधानचंद्र राय की जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष एक जुलाई को डाक्टर्स डे मनाया जाता है। उनका जन्म 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था। कोलकाता में चिकित्सा शिक्षा पूर्ण करने के बाद डॉ. राय ने एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि लंदन से प्राप्त की।1911 में उन्होंने भारत में चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की। वह कोलकाता मेडिकल कालेज में व्याख्याता बने। वहां से वह कैंपबैल मेडिकल स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल कालेज गए। उनकी ख्याति एक शिक्षक एवं चिकित्सक के रूप में नहीं, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण बढ़ी। बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला। डा. राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

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