सब ऐशो आराम से जुदा हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया.
पहले का इतवार कितना बेफिक्र था , सुबह से शाम था , बस आराम ही आराम था। अब तो इतवार का भी बुरा हाल है , कभी यह तो कभी वो shopping mall है वो प्यारा सा sunday जाने कहाँ खो गया, जब से मैं शादी शुदा हो गया।
बीवी की फरमाइश की है फेरिस्त बड़ी , जेब में ना बचती अब एक फूटी कौड़ी , नित नए खर्चो से मचा जैसे हाहाकार है, बीवी तो मानो गोडसे की कोई रिस्तेदार है , डर के जिससे जेब का हर गांधी हवा हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया।
सुबह देर तलक सोने का शौक था , कहीं आने जाने पर ना कोई टोक था , अब तो यह इंतिहा ही जरूरी है , हर बात में बीवी की मंजूरी है , शुरू इजाजत लेने का सिलसिला हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया।
कुछ इस तरह उसके नाज उठता हूँ मैं , फटी कमीज पहन उसकी साड़ी press करवाता हूँ मैं , जिसने उठाया नहीं खुद के लिए पानी का गिलास कभी , अब अक्सर उसके लिए चाय भी बनाता हूँ मैं , यह निकम्मा सा लड़का , आदमी काम का हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया।